मोदी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना के पहले चरण हेतु 24 मई 2016 को केंद्र सरकार ने 'स्मार्ट सिटी' हेतु 13 शहरों की सूची जारी की. ये शहर फास्ट ट्रैक कंपटीशन के जरिए चुने गए है. पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को चुना गया.
अन्य शहरों में वारांगल, धर्मशाला, चंडीगढ़, रायपुर, न्यूज टाउन कोलकाता, भागलपुर, पणजी, पोर्ट ब्लेयर, इंफाल, रांची, अगरत्तला और फरीदाबाद क्रमश: इस प्रतियोगिता में सफल हुए हैं.
'स्मार्ट सिटी' हेतु सरकार की योजना
इस परियोजना में 100 शहरों को शामिल किया जाएगा और इसकी अवधि पांच साल (2015-16 से 2019-20) की होगी. उसके बाद शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किए जाने एवं प्राप्त अनुभवों को शामिल किये जाने के साथ मिशन को जारी रखा जा सकता है.एक सौ स्मार्ट शहरों की कुल संख्या एक समान मापदंड के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वितरित किया गया है. इसी के तहत कायाकल्प और शहरी परिवर्तन हेतु धनराशि का आवंटन भी किया गया है.शहरी विकास मंत्रालय के अनुसार इन प्रतियोगिता में विजेता 13 शहरों ने कुल तीस हजार 229 करोड़ रूपये के निवेश का प्रस्ताव किया है
'स्मार्ट सिटी हेतु मापदंड-
स्मार्ट सिटी के लिए चयनित शहरों को कई मापदंडों पर खरा उतरना होता है.शहर में टेक्नोलॉजी का प्रयोग उच्च स्तर पर होना चाहिए. शहर की सड़कें उच्च कोटि की होनी चाहिए. इन शहरों में रोजगार के समुचित प्रबंध होंने चाहिए साथ ही लोगों की जीवन स्तर का भी विश्लेषण किया जायेगा.
योजना में शामिल कुल स्मार्ट सिटी-
शहरी विकास मंत्रालय ने यह तय कर दिया है कि देश के किस राज्य से कितने शहर स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट के लिए चुने जाएंगे. सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटीज उत्तर प्रदेश में होंगे.तमिलनाडु के 12 और महाराष्ट्र के 10 शहरों को स्मार्ट सिटीज के तौर पर विकसित किया जाएगा.मध्य प्रदेश के सात और गुजरात और कर्नाटक में छह-छह शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे.इंटर-सिटी कंपटीशन के आधार पर शहरों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी जाएगी.वर्ष के अंत तक 20 शहरों को स्मार्ट सिटीज के लिए चुना जाना है.बाकी 80 शहरों के चयन का काम 2017-18 तक पूरा किया जाएगा.
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