केंद्र सरकार ने भारतवाणी' वेब पोर्टल और मोबाइल एप का लोकार्पण किया
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 मई 2016 को लखनऊ स्थित बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय परिसर में 'भारतवाणी' वेब पोर्टल और मोबाइल एप का लोकार्पण किया.
एप के माध्यम से हर स्तर पर छात्र-छात्राओं के अध्ययन व शिक्षकों के प्रयासों,. जिला और स्कूल स्तर तक की गतिविधियों पर ऑनलाइन नजर राखी जा सकेगी. शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एप के माध्यम से एक विशेष कार्यक्रम बनाया गया है.
एप की विशेषताएँ-
इसके लिए दुनिया का सबसे बड़ा 'चाइल्ड-टीचर ट्रैकिंग सिस्टम' जून में लांच किया जाएगा।उन्होंने मोबाइल एप के बारे में बताया कि एप में अभी 22 भारतीय भाषाओं के शब्दकोष जोड़े गए हैं. एक साल के भीतर इसमें 250 भाषाओं के शब्दकोष शामिल किए जाएंगे. देश में 40 करोड़ से अधिक लोग हिंदी में काम करते हैं लेकिन इंटरनेट पर एक फीसद से कम जानकारी हिंदी में मिलती है.प्रौद्योगिकी की मदद से भाषाओं को बचाने में भी सफलता मिलेगी.भारत के इतिहास में पहली बार तकनीक का इस्तेमाल करते हुए भारत की असीम विरासत को दुनिया के सामने लाया गया है।.भारत में 1535 मातृभाषाएं हैं और पूरी दुनिया मानती है कि बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए. यह पोर्टल इस दिशा में भी मददगार साबित होगा.मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं पर चिंतन, संवाद व विवाद सामान्य बात हो गई है. 1980 में नासा के वैज्ञानिक ने संस्कृत को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा करार दिया था.अमेरिका की कॅार्नेल यूनिवर्सिटी के गणित विभाग के शिक्षकों ने भी माना कि दुनिया की सबसे पुरानी ज्यामिती की किताब संस्कृत में है.
इसके विपरीत आइआइटी में संस्कृत की शुरुआत के नाम पर मुझे ताने सुनने पड़े और दंडित तक करने की बात कही गई. एप का विकास भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के निदेशक अवधेश कुमार मिश्र ने किया है. उनके अनुसार यह पोर्टल व ऐप देश की सबसे बड़ी बहुभाषी डिक्शनरी है.इसके माध्यम से भारतीय भाषाओं का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म तैयार हुआ है.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 मई 2016 को लखनऊ स्थित बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय परिसर में 'भारतवाणी' वेब पोर्टल और मोबाइल एप का लोकार्पण किया.
एप के माध्यम से हर स्तर पर छात्र-छात्राओं के अध्ययन व शिक्षकों के प्रयासों,. जिला और स्कूल स्तर तक की गतिविधियों पर ऑनलाइन नजर राखी जा सकेगी. शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एप के माध्यम से एक विशेष कार्यक्रम बनाया गया है.
एप की विशेषताएँ-
इसके लिए दुनिया का सबसे बड़ा 'चाइल्ड-टीचर ट्रैकिंग सिस्टम' जून में लांच किया जाएगा।उन्होंने मोबाइल एप के बारे में बताया कि एप में अभी 22 भारतीय भाषाओं के शब्दकोष जोड़े गए हैं. एक साल के भीतर इसमें 250 भाषाओं के शब्दकोष शामिल किए जाएंगे. देश में 40 करोड़ से अधिक लोग हिंदी में काम करते हैं लेकिन इंटरनेट पर एक फीसद से कम जानकारी हिंदी में मिलती है.प्रौद्योगिकी की मदद से भाषाओं को बचाने में भी सफलता मिलेगी.भारत के इतिहास में पहली बार तकनीक का इस्तेमाल करते हुए भारत की असीम विरासत को दुनिया के सामने लाया गया है।.भारत में 1535 मातृभाषाएं हैं और पूरी दुनिया मानती है कि बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए. यह पोर्टल इस दिशा में भी मददगार साबित होगा.मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं पर चिंतन, संवाद व विवाद सामान्य बात हो गई है. 1980 में नासा के वैज्ञानिक ने संस्कृत को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा करार दिया था.अमेरिका की कॅार्नेल यूनिवर्सिटी के गणित विभाग के शिक्षकों ने भी माना कि दुनिया की सबसे पुरानी ज्यामिती की किताब संस्कृत में है.
इसके विपरीत आइआइटी में संस्कृत की शुरुआत के नाम पर मुझे ताने सुनने पड़े और दंडित तक करने की बात कही गई. एप का विकास भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के निदेशक अवधेश कुमार मिश्र ने किया है. उनके अनुसार यह पोर्टल व ऐप देश की सबसे बड़ी बहुभाषी डिक्शनरी है.इसके माध्यम से भारतीय भाषाओं का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म तैयार हुआ है.
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