भारत ने स्वदेशी सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल अश्विन का सफल परीक्षण किया
भारत ने 15 मई 2016 को स्वदेशी सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल अश्विन का ओडिशा के भद्रक जिले में स्थित अब्दुल कलाम द्वीप के प्रक्षेपण परिसर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया.
कम ऊंचाई वाली सुपरसोनिक बैलेस्टिक इंटरसेप्टर मिसाइल के उन्नत संस्करण द्वारा पृथ्वी मिसाइल के एक संशोधित संस्करण, अर्थात् बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य बनाया गया.

सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल अश्विन
• इंटरसेप्टर 7.5 मीटर लंबा मजबूत रॉकेट है जो नौवहन प्रणाली, हाईटेक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो-मैनिकल एक्टिवेटर की मदद से गाइडेड मिसाइल से संचालित होता है.
• अश्विन किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य बना सकता है.
• इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया.
• इसका वजन 1.2 टन है तथा व्यास 0.5 मीटर से कम है.
इसके साथ ही भारत इस प्रकार की मिसाइल का विकास करने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस एवं इजराइल के पास इस तकनीक की मिसाइल मौजूद हैं. इससे भारत की रक्षा प्रणाली मजबूत हुई है.
इसे भारतीय सशस्त्र बलों में भी शामिल किया जायेगा. बंगाल की खाड़ी में पारादीप से यह इंटरसेपटर मिसाइल का 12वां टेस्ट था. इससे पहले 9 टेस्ट विफल रहे थे.
भारत ने 15 मई 2016 को स्वदेशी सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल अश्विन का ओडिशा के भद्रक जिले में स्थित अब्दुल कलाम द्वीप के प्रक्षेपण परिसर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया.
कम ऊंचाई वाली सुपरसोनिक बैलेस्टिक इंटरसेप्टर मिसाइल के उन्नत संस्करण द्वारा पृथ्वी मिसाइल के एक संशोधित संस्करण, अर्थात् बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य बनाया गया.

सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल अश्विन
• इंटरसेप्टर 7.5 मीटर लंबा मजबूत रॉकेट है जो नौवहन प्रणाली, हाईटेक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो-मैनिकल एक्टिवेटर की मदद से गाइडेड मिसाइल से संचालित होता है.
• अश्विन किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल को लक्ष्य बना सकता है.
• इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया.
• इसका वजन 1.2 टन है तथा व्यास 0.5 मीटर से कम है.
इसके साथ ही भारत इस प्रकार की मिसाइल का विकास करने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस एवं इजराइल के पास इस तकनीक की मिसाइल मौजूद हैं. इससे भारत की रक्षा प्रणाली मजबूत हुई है.
इसे भारतीय सशस्त्र बलों में भी शामिल किया जायेगा. बंगाल की खाड़ी में पारादीप से यह इंटरसेपटर मिसाइल का 12वां टेस्ट था. इससे पहले 9 टेस्ट विफल रहे थे.
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